मध्यप्रदेश / नाॅन एसएएस 18 साल में सिर्फ एक बार बने आईएएस
नए साल के साथ ही राज्य प्रशासनिक सेवा (एसएएस) के अधिकारियों को आईएएस अवॉर्ड करने के लिए पद तय करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है, लेकिन इस बार गैर राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसरों को उम्मीद है कि उन्हें भी तय मापदंडों के हिसाब से पद मिल जाएंगे। केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय ने मप्र सरकार से 15 जनवरी तक पदों की वैकेंसी मांगी है, जो जनवरी 2020 की सूरत में तय होगी।
यदि इस बार नाॅन एसएएस को पद मिल जाते हैं तो 18 साल में एेसा दूसरी बार होगा। 2001 के बाद 2014-15 में ही ऐसा माैका आया था, जब नाॅन एसएएस के लिए चार पद मिले थे। तब मंजू शर्मा, श्रीकांत पांडे, शमीमुद्दीन और संजय गुप्ता को आईएएस अवॉर्ड हुआ था। मंजू शर्मा और श्रीकांत पांडे इस समय क्रमश: अशोक नगर व देवास के कलेक्टर हैं।
लंबे समय से पद नहीं मिलने के कारण सुपर क्लास वन के कई अधिकारी 56 साल की आयु पूरी कर पात्रता से बाहर हो चुके हैं। इस समय सामान्य प्रशासन विभाग को छोड़कर 53 विभागों में 200 अधिकारी एेसे हैं, जो आईएएस अफसर बनने की पात्रता रखते हैं और 10-15 साल से अतिरिक्त निदेशक अथवा संयुक्त निदेशक के पद पर बिना प्रमोशन के काम कर रहे हैं।
इन अफसरों की एसीआर आउट स्टेंडिंग है। डिप्टी कलेक्टर के समकक्ष भी हो चुके हैं। नाॅन एसएएस के ये अधिकारी प्रमोशन के आखिरी पड़ाव पर हैं। वीरेंद्र कुमार, मनोज श्रीवास्तव, बीआर विश्वकर्मा, सुरेंद्र सिंह भंडारी और जेके शर्मा सरीखे अधिकारी तो आयु की वजह से अपात्र हो चुके हैं।
नियम तो हैं- लेकिन नाॅन एसएएस के पद बनाते वक्त पालन नहीं होता
मप्र में आईएएस अधिकारियों का मंजूर कैडर 439 पदों का है। इसमें से 309 सीधी भर्ती और 133 प्रमोटी पदों का है। डायरेक्ट रिक्रूटमेंट कैडर का 28.3 से 33.3% तक पद एसएएस अफसरों के लिए होता है और इसका 15% नाॅन एसएएस के लिए है, लेकिन नाॅन एसएएस के पद बनाते समय इसका पालन नहीं होता। आंध्रप्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना जैसे राज्यों में लगातार पद मिल रहे हैं।
आईएएस भर्ती नियम 4 भी कहता है कि नाॅन एसएएस अधिकारी यदि 8 वर्ष से डिप्टी कलेक्टर के समकक्ष पद पर काम कर रहा है तो वह आईएएस अवॉर्ड के लिए पात्र होगा। नियम 8 में आईएएस में पदोन्नति एवं चयन के प्रावधानों को स्पष्ट किया गया है।
कांग्रेस सरकार में ज्यादा पद मिले, यह बने आईएएस अधिकारी
- 1985 में : एसके वशिष्ट, वीजी धर्माधिकारी और एसएस उप्पल
- 1987 में : वसीम अख्तर
- 1991 में : सुधा चौधरी व एसके मिश्रा
- 1993 में : अरुण भट्ट, जब्बार ढाकवाला और राकेश श्रीवास्तव
- 1995 में : सुभाष जैन व राजकुमार माथुर
- 1997 में : वीके बाथम व विनोद सिंह बघेल
- 2001 में : एनएस भटनागर व डीपी अहिरवार
- 2014-15 में : मंजू शर्मा, श्रीकांत पांडे, शमीमुद्दीन और संजय गुप्ता।